दिल्ली : नहीं रहे कैबिनेट मंत्री राम बिलास पासवान, लंबे समय से थे अस्पताल में भर्ती

  दिल्ली /09अक्टूबर/   06 प्रधानमंत्रियो के कैबिनेट में रह चुके , सर्वाधिक मतों के अंतर से जीतने में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में जगह बनाने वाले केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का 74 साल की उम्र में गुरूवार को दिल्ली में निधन हो गया।उनके बेटे चिराग़ पासवान ने इसकी जानकारी दिया । वे लंबे समय से बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे।


           बिहार की राजनीति से निकले दलित नेता के रूप में स्थापित होने वाले राम विलास पासवान की ख्याति तब फैली जब 1977 में हाजी पुर संसदीय सीट से उन्होंने जनता पार्टी के टिकट पर कांग्रेस उम्मीदवार को लगभग साढ़े चार लाख रिकार्ड मतों के अंतर से हरा कर लोक सभा मे पहुंचे। उनकी यह उपलब्धि गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हुई।                     सहज और सौम्य माने जाने वाले रामबिलास पासवान का कोई राजनैतिक सरंक्षक नही था ,भारतीय राजनीति में उन्होंने अपने दम पर अपनी प्रासंगिकता बनाये रखी। यही कारण है राजनीति के मौसम विज्ञानी कहे जाने वाले राम विलास पासवान ने 06 प्रधान मंत्रियो के साथ मंत्री के रूप में काम किया 50 वर्ष के अपने राजनैतिक जीवन मे उन्होंने केवल दो चुनावो में पराजय का सामना किया 1984 व 2009 में।


             रामबिलास पासवान इकलौते भारतीय राजनीतिज्ञ है जिन्होंने एनडीए , यूपीए और तीसरे मोर्चे की सरकारों में मंत्री पद का निर्वहन किया।


             देश का ध्यान राम विलास पासवान पर भले ही 1977 में रिकार्ड मतों से जीत के बाद गया हो परंतु बिहार के खगड़िया ज़िले में एक दलित परिवार में जन्मे रामविलास पासवान पढ़ाई में अच्छे थे। उन्होंने 1969 में ही बिहार की प्रशासनिक सेवा परीक्षा पास की और वे पुलिस उपाधीक्षक यानी डीएसपी के पद के लिए चुने गए। उसी वर्ष 1969 में पासवान ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर अलौली सुरक्षित विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल किया और यहाँ से उनके राजनीतिक जीवन की दिशा निर्धारित हो गई ।


        शायद उन्हें अपने जीवन काल का एहसास भी हो गया था और समय से उन्होंने अपने पुत्र चिराग़ पासवान को राजनैतिक विरासत सौप कर स्थापित भी कर दिया था! 


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